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क्या है साइनस, कैसे करें इलाज? (Sinus Treatment In Rajasthan)

Best Sinus Treatment in Rajasthan

साइनस (Sinus) को ज्यादातर लोग एलर्जी के रूप में देखते हैं क्योंकि इसकी वजह से उन्हें धूल, मिट्ठी, धुंआ इत्यादि की वजह से सांस लेने में परेशानी होती है। लेकिन, यह मात्र एलर्जी नहीं है बल्कि नाक की मुख्य बीमारी है, जो मुख्य रूप से नाक की हड्डी के बढ़ने या तिरछी होने की वजह से होती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में नाक की यह समस्या काफी तेज़ी से फैल रही है और यह समस्या 8 में से 1 व्यक्ति में देखने को मिल रही है। ये आंकडे साइनस की स्थिति को बयां करने के लिए काफी हैं, लेकिन इसके बावजूद अधिकांश लोग इसके लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते हैं और इसी कारण वे इससे परेशान रहते हैं।
क्या आप साइनस की पूर्ण जानकारी जानते हैं? नहीं, तो परेशान न हो क्योंकि आप इस लेख के माध्यम से यह जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

साइनस कितने कितने प्रकार का होता है? (Sinus Types in Hindi)

साइनस मुख्य रूप से 4 प्रकार होता है, जो निम्नलिखित है:

  1. एक्यूट साइनस- यह सामान्य साइनस है, जिसे इंफेक्शन साइनस के नाम से भी जाना जाता है। एक्यूट साइनस (Acute sinus) मुख्य रूप से उस स्थिति में होता है, जो कोई व्यक्ति किसी तरह के वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है।
  2. क्रोनिक साइनस- इस तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जिसमें नाक के छेद्रों के आस-पास की कोशिकाएं सूज जाती हैं। क्रोनिक साइनस (Chronic sinus) होने पर नाक सूज जाता है और इसके साथ में व्यक्ति को दर्द भी होता है।
  3. डेविएटेड साइनस- जब साइनस नाक के एक हिस्से पर होता है, तो उसे डेविएटेड साइनस (Deviated sinus) के नाम से जाना जाता है। इसके होने पर नाक बंद हो जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है।
  4. हे साइनस- हे साइनस (Hay sinus) को एलर्जी साइनस भी कहा जा सकता है। यह साइनस मुख्य रूप से उस व्यक्ति को होता है, जिसे धूल के कणों, पालतू जानवरों इत्यादि से एलर्जी होती है।

साइनस के लक्षण क्या हैं? (Sinus Symptoms in Hindi)

हालांकि, ज्यादातर लोग यह कहते हैं कि उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला कि उन्हें साइनस कब हो गया। लेकिन, ऐसा कहना सही नहीं है क्योंकि किसी भी अन्य समस्या की भांति इस नाक की बीमारी के भी कुछ लक्षण होते हैं, जो इसके होने का संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को ये 5 लक्षण नज़र आएं, तो उसे इसकी सूचना डॉक्टर को तुंरत देनी चाहिए-

  1. सिरदर्द होना- यह साइनस का प्रमुख लक्षण है, जिसमें शख्स को सिरदर्द होता है और इसके लिए उसे सिरदर्द की दवाई लेनी पड़ती है।
  2. नाक में भारीपन महसूस होना- साइनस का अन्य लक्षण यह है कि इस स्थिति में नाक में भारीपन महसूस होता है। इस स्थिति में किसी के भी अपना काम करना मुश्किल हो जाता है।
  3. बुखार होना– अक्सर ऐसा भी देखा गया है कि साइनस होने पर कुछ लोगों को बुखार हो जाता है। हालांकि, इसका इलाज सामान्य दवाई के द्वारा संभव है फिर भी इसका डॉक्टर की सलाह सही कदम होता है।
  4. खांसी होना- साइनस होने पर कुछ लोगों को खांसी भी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को यह होता है, तो उसे इसकी सूचना अपने डॉक्टर को देनी चाहिए।
  5. चेहरे पर सूजन का होना- यदि किसी व्यक्ति के चेहरे पर नाक के आस-पास के हिस्से पर सजून आ जाती है तो उसे इसकी जांच करानी चाहिए।

साइनस किन कारणों से होता है? (Sinus Causes in Hindi)

यह सवाल हर उस शख्स के लिए मायने रखता है, जो इस नाक की बीमारी से पीड़ित होता है। वह हमेशा इस बात को जानने को उत्सुक रहता है कि आखिरकार उसे यह बीमारी किस वजह से हुई, ताकि वह इसका सही इलाज करा सके।

साइनस मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  • एलर्जी का होना- यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है, जिसे किसी तरह की एलर्जी होती है। इसी कारण व्यक्ति को अपनी एलर्जी की जांच समय-समय पर कराती रहनी चाहिए।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।
  • नाक की असामान्य संरचना का होना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि नाक की यह समस्या उस स्थिति में हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है। अत: जब कोई व्यक्ति इस समस्या को लेकर किसी डॉक्टर के पास जाता है, तो उस स्थिति में डॉक्टर उसके नाक का एक्स-रे करते हैं ताकि उसकी नाक की संरचना का पता लगाया जा सके।
  • फैमली हिस्ट्री का होना- किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है। अन्य शब्दों में, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
  • माइग्रेन से पीड़ित होना- साइनस उस शख्स को भी हो सकती है, जो माइग्रेन (Migraine) से पीड़ित है। अत: माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही से कराना चाहिए।

साइनस के लाइलाज रहने पर निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं:

  1. साइनस का मस्तिष्क में फैलना- इस नाक की बीमारी के लाइलाज रहने पर यह शरीर के अन्य अंग (विशेषकर मस्तिष्क) में फैल सकता है। हालांकि, ऐसी स्थिति में ब्रेन सर्जरी को कराना ही एकमात्र विकल्प बचता है।
  2. आंखों में संक्रमण का होना- साइनस का इलाज समय पर न होने के कारण आंख में संक्रमण हो सकता है। ऐसी स्थिति में आंख के डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है।
  3. मस्तिष्क का खराब होना- यदि इस नाक की समस्या से पीड़ित व्यक्ति इसका इलाज समय रहते नहीं कराता है, तो यह मस्तिष्क के खराब या ब्रेन फेलियर का कारण बन सकता है। अत: किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इसका इलाज सही समय पर कराना चाहिए।
  4. अस्थमा की बीमारी का होना- कई बार ऐसा भी देखा गया है कि यदि साइनस लंबे समय तक लाइलाज रह जाता है तो वह यह अस्थमा होने का कारण बन सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को अतिरिक्त इलाज की जरूरत पड़ सकती है।
  5. मौत होना- कुछ लोगों की इस नाक की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। लेकिन यह राहत की बात है कि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है, फिर भी व्यक्ति को इस दौरान किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि आज कल बहुत सारी समस्याएं फैल रही हैं। जिसे लेकर ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं। यदि साइनस (sinus) की बात की जाए तो अलग-अलग लोग इसे अलग-अलग रूप में देखते हैं। उदाहरण के लिए कुछ लोग इसे सिरदर्द समझ लेते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे गले में इंफेक्शन मानते हैं। उनके इसी दृष्टिकोण के कारणवश वे इसका सही इलाज नहीं करा पाते हैं। अत: समझदारी यही है कि लोगों को साइनस की सही जानकारी दी जाए, ताकि वे इससे निजात पा सकें।

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